2-186 रामलिंग आलमेल बीजापुर
सती माँ द्वारा परीक्षा लेने के बाद उनके संकेत पर श्रीराम दक्षिण दिशा में सिंडगी के उत्तर की ओर 20 कि.मी. आये थे और उन्होंने यहाँ भगवान शिव की पूजा की थी। इसलिए मंदिर का नाम रामलिंग है।
Read moreसती माँ द्वारा परीक्षा लेने के बाद उनके संकेत पर श्रीराम दक्षिण दिशा में सिंडगी के उत्तर की ओर 20 कि.मी. आये थे और उन्होंने यहाँ भगवान शिव की पूजा की थी। इसलिए मंदिर का नाम रामलिंग है।
Read moreरामतीर्थ अथणी तालुका में रामतीर्थ गाँव में रामजी से पूजा करवाने शिव सपरिवार यहाँ पधारेे थे। श्रीराम के आग्रह पर शिवजी ने शिवलिंग का अलंकरण, नाम रामेश्वर, गर्मजल से जलाभिषेक तथा केतकी के फूलों से पूजा स्वीकार की।
Read more188. रामतीर्थ, जमखंडी अथणी से 60 कि.मी. दक्षिण दिशा में जमखण्डी में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है। श्रीराम ने यहाँ शिव पूजा की थी। वा. रा. 3/69/1 से 9 तक मानस 3/32/2 रामतीर्थ जमखण्डी से कबन्ध आश्रमः- जमखण्डी-मुधोल-लोकापुर-मुदकवी- करड़ीगुड। एस. एच.-34 से 72 कि.मी.। 189. अयोमुखी गुफा रामदुर्ग से 16 कि.मी. दूर एक पहाड़ी […]
Read moreअयोमुखी गुफा रामदुर्ग से 16 कि.मी. दूर एक पहाड़ी पर राक्षसी की गुफा है। उसने भोग विलास की कामना से लक्ष्मणजी को पकड़ लिया तथा लक्ष्मणजी ने उसके नाक, कान काट डाले थे।
Read moreरामदुर्ग करड़ी गुड्ड (रीछों का पहाड़) नामक गाँव के पास पहाड़ी पर एक टेढे़-मेढे़ पत्थर की मूर्ति रखी है। यह मूर्ति वाल्मीकि रामायण में वर्णित कबंध के शरीर से मेल खाती है। स्थानीय लोग इसको राक्षस का मंदिर कहते हैं, जिसका श्रीराम ने संहार किया था।
Read moreरामदुर्ग से 14 कि.मी. उत्तर में गुन्नगा गाँव के पास सुरेबान है। जो शबरी वन का ही अपभ्रंश है। आश्रम के आस-पास बेरी वन है। बेर अब भी मीठे होते हैं। यहाँ शबरी माँ की पूजा वन शंकरी, आदि शक्ति तथा शाकम्भरी देवी के रूप में की जाती है। यहीं श्रीराम व शबरी माँ की भेट हुई थी।
Read moreपहले यह बहुत बड़ा रहा है। सरोवर के किनारे मंदिरों की कतार है। यहाँ श्रीराम सीतान्वेषण करते हुए आये थे।
Read moreकन्नड़ में हल्ली का अर्थ है गाँव। यहाँ हनुमानजी तथा श्रीराम का मिलन हुआ था। पास ही एक पर्वत पर हनुमानजी की माँ अंजना देवी का मंदिर है।
Read moreसुग्रीव तथा श्रीराम, लक्ष्मण का मिलन हम्पी में ऋष्यमूक पर्वत पर हुआ था। तब सुग्रीव बाली के भय से यहीं रहते थे। यहाँ पहाड़ी में एक कंदरा को सुग्रीव गुफा कहा जाता है। वा.रा. 3/54/1 से 4 तक 4/2, 5, 6, 7, 8, 10, 11 पूरे अध्याय 4/12/1 से 13, मानस 4/0/1 4/6/12
Read moreचिन्तामणि अनागुंडी तुंगभद्रा नदी यहाँ धनुषाकार घुमाव लेती है। नदी के एक ओर बाली-सुग्रीव का युद्ध हुआ था तथा दूसरे किनारे पर वृक्षों की ओट से श्रीराम ने बाली को बाण मारा था। यहां श्रीराम के चरण चिह्न हैं।
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