2-192 पम्पासर हनुमान हल्ली कोपल कर्नाटक
पहले यह बहुत बड़ा रहा है। सरोवर के किनारे मंदिरों की कतार है। यहाँ श्रीराम सीतान्वेषण करते हुए आये थे।
Read moreपहले यह बहुत बड़ा रहा है। सरोवर के किनारे मंदिरों की कतार है। यहाँ श्रीराम सीतान्वेषण करते हुए आये थे।
Read moreकन्नड़ में हल्ली का अर्थ है गाँव। यहाँ हनुमानजी तथा श्रीराम का मिलन हुआ था। पास ही एक पर्वत पर हनुमानजी की माँ अंजना देवी का मंदिर है।
Read moreसुग्रीव तथा श्रीराम, लक्ष्मण का मिलन हम्पी में ऋष्यमूक पर्वत पर हुआ था। तब सुग्रीव बाली के भय से यहीं रहते थे। यहाँ पहाड़ी में एक कंदरा को सुग्रीव गुफा कहा जाता है। वा.रा. 3/54/1 से 4 तक 4/2, 5, 6, 7, 8, 10, 11 पूरे अध्याय 4/12/1 से 13, मानस 4/0/1 4/6/12
Read moreचिन्तामणि अनागुंडी तुंगभद्रा नदी यहाँ धनुषाकार घुमाव लेती है। नदी के एक ओर बाली-सुग्रीव का युद्ध हुआ था तथा दूसरे किनारे पर वृक्षों की ओट से श्रीराम ने बाली को बाण मारा था। यहां श्रीराम के चरण चिह्न हैं।
Read moreहम्पी अनागुन्डी गाँव ही प्राचीन किष्किंधा है। यहाँ वाल्मीकि रामायण में वर्णित दृश्य मिलते हैं। अन्य महत्त्वपूर्ण स्थलों में यहाँ बाली का भंडार, अंजनी पर्वत, वीरूपाक्ष मंदिर,कोदण्डराम मंदिर, मतंग पहाड़ी दर्शनीय हंै। महत्त्वपूर्ण यह भी है कि राजवंश स्वयं को अंगद का वंशज मानता है
Read moreतुंगभद्रा नदी यहाँ धनुषाकार घुमाव लेती है। इसे चक्रतीर्थ कहा जाता है। जब श्रीराम पुष्पक विमान से अयोध्या जा रहे थे तब मां सीता के आग्रह पर विमान यहां उतारा था। बाद में सुग्रीव ने यहां कोदण्ड राम मंदिर बनवाया था।
Read more