Monday, November 4, 2024

2-126 गुप्तेश्वर रामगिरी कोरापुट ओडीशा

रामगिरि जगदलपुर से 50 कि.मी. पूर्व दिशा में घनघोर जंगल में भगवान शिव एक अंधेरी गुफा में शयन कर रहे हैं। उड़ीसा, मध्य प्रदेश तथा आन्ध्र प्रदेश के हजारों वनवासी दर्शनार्थ आते हैं। निकट ही रामगिरि पर्वत पर श्रीराम के आने का पवित्र चिह्न माना जाता है।

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2-127 अम्मा कुण्ड खैरपुट मलकानगिरी ओडीशा

खैरपुट बाली मेला और गोविन्द पल्ली मार्ग पर खैरपुट नामक गाँव से 4 कि.मी. दूर पहाड़ी पर प्राकृतिक कुण्ड है। यहाँ माँ स्नान करती थीं। सीता माँ द्वारा पालित मछलियाँ आज भी यहाँ मिलती हैं।

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2-128 सीता कुण्ड, खैरपुट मलकानगिरी ओडीशा

खैरपुट अम्मा कुण्ड से 15 कि.मी. आगे घाटी में सीता कुण्ड स्थित है। यहाँ सीता माँ की तलवार ‘ठकुराइन की तलवार’ के नाम से आज भी पूजी जाती है। यहाँ की वनवासी बंडा जाति की महिलाएँ आज भी सीता माँ का श्राप स्वीकारते हुए केश विहीन तथा निर्वस्त्र रहती हैं।

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2-129 डुमरीपाडा बालीमेला मलकानगिरी ओडीशा

डुमरीपाडा बालीमेला मल्कानगिरी से 90 कि.मी. पूर्वोत्तर में डुमरी पाड़ा नामक पहाड़ी व बस्ती है। लोक विश्वास के अनुसार यहाँ श्रीराम ने बाली को मारा था।

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2-130 मल्लीकेश्वर मंदिर मल्कानगिरि ओडीशा

मल्लीकेश्वर मंदिर मल्कानगिरि माल्यवंत गिरि का अपभ्रंश है। उड़ीसा के आदिवासियों के अनुसार वास्तविक किष्किन्धा यहीं है। यहाँ श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा की थी।

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2-133 श्री राम मंदिर मोंटू मलकानगिरी ओडीशा

श्री राम मंदिर, मोटू कोंटा से 8 कि.मी. दक्षिण दिशा में है । मोटू के जंगल में श्रीराम, लक्ष्मणजी व सीताजी, शिवजी, गणेश जी, आदि देवों के विग्रह भूमि से उभर रहे हैं। यहाँ जनता चाह कर भी मंदिर नहीं बना पा रही। खुदाई आरम्भ करते ही लाल रंग के साँप निकलते हैं।

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2-134 शबरी सलेरू संगम मलकानगिरी ओडीशा

सलेरू संगम मोटू मोटू से 2 कि.मी. दूर सलेरू तथा शबरी नदी का पवित्र संगम है। माना जाता है कि श्री सीता जी ने यहाँ स्नान किया था। यहाँ तक श्रीराम शबरी नदी के किनारे-किनारे आए थे। संदर्भ पृष्ठ 63 स्थल संख्या 63 की पाद टिप्पणी देखंे। शबरी सलेरू संगम से सुन्दर सीताराम मंदिरः- कोंटा […]

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