Tuesday, October 22, 2024

1-36 पंथ पाकड़ सीतामढ़ी बिहार


जनकपुर से प्रस्थान कर श्री राम की बारात ने प्रथम रात्रि विश्राम पंथ पाकड़ में किया था। माना जाता है कि माँ सीता ने दातुन करके जो फेंक दी थी उसी से इस पाकड़ का जन्म हुआ है।

यहाँ से बारात सीता मढ़ी होती हुई सीता कुण्ड पहुची थी सीता मढ़ी का विवरण इस प्रकार है। यहाँ सीता माँ भूमि से प्रकट हुई थीं।

सीता का अर्थ, हल का वह भाग जो पृथ्वी को चीरता चलता है। यह वही स्थान है जहाँ रावण ने ऋषियों से कर स्वरूप उनका रूधिर निकाल कर एक घडे़ में दबा दिया था। इससे भयंकर अनावृष्टि हुई और देवताओं के परामर्श से राजा जनक ने यहाँ हल चलाया जिससे रावण के अत्याचारों से ऋषियों की चीत्कार सीताजी के स्वरूप में रावण के संहार के लिए प्रकट हुई थी।

यहाँ तब तपोवन था आज भी पुण्डरीक, शृंगी, कपिल, खरक ऋषि तथा चक्र मुनि के आश्रम हंै। ये सभी आश्रम 10 कि.मी. के घेरे में आज भी अवशेष के रूप में मिलते हैं। क्षेत्र में मंदिर के प्रति अगाध श्रद्धा है।

लोक विश्वास के अनुसार विवाहोपरांत बारात उधर से होकर अयोध्या जी गयी थी।

वा.रा. 1/69/7 मानस 1/303/3, 1/342/4 से 1/343/4 तक।

पंथ पाकड़ से सीता कुण्ड-वेदीवनः- सीतामढ़ी- परसौनी – मधुवन – चकिया-मधुवन बेदीवन। राष्ट्रीय राजमार्ग 104, 67 कि.मी.।

सीता कुण्ड तथा वेदीवन निकट ही है अतः दोनों के दर्शन साथ-साथ हो सकते हैं।

Sharing is caring!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *