2 -84 शिव मंदिर फतेहपुर
श्रीराम जहां भी रात्रि विश्राम करते थे वहां शिव पूजन अवश्य होता था। बगीचा से रामरेखा धाम जाते समय श्रीराम ने यहां भी शिवलिंग की स्थापना की थी। आज भी यहां 10 वीं 11 वीं शताब्दी के मंदिर के अवशेष मिलते हैं।
श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) गये। अतः वहाँ तक मानस से कोई संदर्भ नहीं मिलते। गोस्वामी जी द्वारा वर्णित सकल मुनि (मा.3/9 दोहा) दण्डक वन में थे। उनकी चर्चा जन श्रुतियों के आधार पर ही करेंगे। क्योंकि उन सकल मुनियों के नाम, ग्राम, आश्रम आदि का कोई वर्णन नहीं दिया है। हां जन श्रुतियांें में वे आश्रम आज भी जीवंत है तथा उनके सभी स्थलों पर अवषेष तथा लोक कथाएँ मिलती हंै।रामायण के अरण्य काण्ड के 8,9,10 अध्यायों के अनुसार श्रीराम सुतीक्ष्ण आश्रम से प्रस्थान करते हैं। मार्ग में राक्षसों के वध संबधी प्रतिज्ञा पर मां सीता से श्रीराम चर्चा करते हैं। इन अध्यायों में केवल यही चर्चा हैं। मार्ग का कोई संकेत नहीं है। इन दस वर्षांे में प्रथम संकेत पंचाप्सर का मिलता है।
संकेत के रूप में वा.रा. 3/11/21 से 28 तक देखें।
शिव मंदिर फतेहपुर से रामरेखा धाम – लक्ष्मीगुड़ी मंदिर:-जसपुर-गमरिया-कसलपुर-सिमडेगा-रामरेखाधाम-जसपुर 80 कि.मी.
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