2-66 मार्कंडेय आश्रम नया दरबार उमरिया मध्य प्रदेश
वनवास क्रम में सोनभद्र तथा महानदी के पवित्र संगम पर श्रीराम ने दशरथ जी का श्राद्ध किया था। अब भी सोनभद्र के किनारे प्राचीन बस्ती के अवशेष नदी में मिलते हैं। यहाँ मारकण्डेय ऋषि का आश्रम हुआ करता था जो जल डूब के क्षेत्र में आ गया है । प्राचीन आश्रम की स्मृति में नया आश्रम नया दरबार में बनाया गया है । त्रेता युग में श्री राम यहां मार्कण्डेय ऋषि से मिलने आये थे ।
टिप्पणीः
श्री रामचरित मानस के अनुसार श्रीसीता राम जी सुतीक्षण मुनि आश्रम से सीधे अगस्त्य मुनि के आश्रम (अगस्त्येश्वर मंदिर) गये। अतः वहाँ तक मानस से कोई संदर्भ नहीं मिलते। गोस्वामी जी द्वारा वर्णित सकल मुनि (मा.3/9 दोहा) दण्डक वन में थे। उनकी चर्चा जन श्रुतियों के आधार पर ही करेंगे। क्योंकि उन सकल मुनियों के नाम, ग्राम, आश्रम आदि का कोई वर्णन नहीं दिया है। हां जन श्रुतियांें में वे आश्रम आज भी जीवंत है तथा उनके सभी स्थलों पर अवषेष तथा लोक कथाएँ मिलती हंै।रामायण के अरण्य काण्ड के 8,9,10 अध्यायों के अनुसार श्रीराम सुतीक्ष्ण आश्रम से प्रस्थान करते हैं। मार्ग में राक्षसों के वध संबधी प्रतिज्ञा पर मां सीता से श्रीराम चर्चा करते हैं। इन अध्यायों में केवल यही चर्चा हैं। मार्ग का कोई संकेत नहीं है। इन दस वर्षांे में प्रथम संकेत पंचाप्सर का मिलता है। अतः अब उनका विवरण देखते हैं।
संकेत के रूप में वा.रा. 3/11/21 से 28 तक देखें।
मार्कंडेय आश्रम से श्रीराम मंदिर ताला बांधगढ़:- नया दरबार-ताला बांधगढ़। 30 कि.मी.
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