2-182 श्रीराम वरदायिनी तुलजापुर उस्मानाबाद महाराष्ट्र
तुलजापुर में सती माँ ने श्रीराम की परीक्षा लेने के बाद श्रीराम को सीतान्वेषण में सफल होने का वरदान दिया तभी नाम श्रीराम वरदायिनी हुआ है।
मानस 1/47/1 से 1/55/4 तक नोटः श्रीराम वरदायिनी तथा घाट शिला मंदिर दोनों ही तुलजापुर में है। अतः उसका मार्ग बनाने की आवश्यकता नहीं है।
जय श्री राम ! आपने अत्यंत उत्तम जानकारी जग के सामने लायी है । आपका बहुत अभिनंदन । यहां पर तुलजापूर के श्रीरामवरदायिनी माता का उल्लेख आ रहा है , तो इस उल्लेख के तौर पर एक बात निवेदन करना चाहता हूँ की तुलजापूर के इस रामवरदायिनी मंदिर के पिछे प्रभु श्रीराम जी ने एक शिवलिंग की स्थापना की थी जिसे रामेश्वर लिंग कहते है । वह शिवलिंग आज भी वहापर प्रतिष्ठीत है । वहापर समीपही एक कुंड भी है जहापर श्रीराम जी ने बाण मारकर भोगावती जी का जल भूमी से निकाला था । समीप ही श्रीलक्ष्मण जी ने स्थापन किया हुवा “लक्ष्मणेश्वर” नामक शिवलिंग भी प्रतिष्ठीत है । श्रीरामजी और श्रीलक्ष्मण जी द्वारा स्थापन कीये गये इन शिवलिंगो का उल्लेख तुलजापूरके तुलजा भवानी माता के “तुरजामहात्म्य” नामक पौराणीक महात्म्य ग्रंथ मे आता है जो ग्रंथ स्कंदपुराण के सह्याद्रीखंड का एक भाग है । तुलजापूर क्षेत्र मे वे आठ तीर्थ भी विद्यमान है जीनमे प्रभु श्रीरामजी ने माता तुलजा भवानी जी के कहने पर स्नान किया था ।