2-145 मुर्डेश्वर मंदिर रिठद वासिम महाराष्ट्र
श्रीराम एवं भोले बाबा परस्पर पूजा करते थे। दोनों ही एक दूसरे के आराध्य हैं। सामान्य परम्परा के विरुद्ध यहाँ भगवान शिव की जलहरी, पूर्व दिशा में है। माना जाता है कि आते हुए अपने आराध्य श्रीराम के दर्शनार्थ भगवान शिव ने अपनी स्थिति बदल ली थी। अर्थात् वे मुड़कर श्रीराम को देखने लगे थे। इसलिए नाम मुर्डेश्वर हो गया है। संदर्भ पृष्ठ 63 स्थल संख्या 63 की पाद टिप्पणी देखंे।
Leave a Reply