2-01 राम जन्म भूमि अयोध्या
आप दर्शन कर रहे हैं टाट में विराजमान राम लला जन्मभूमि पावन तीर्थ के । अब यहां भव्य रामभूमि निर्माण की तैयारियां चल रही हैं । माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार अब यहाँ भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा ।
हम सभी जानते हैं कि श्रीराम सहित चारों भाइयों की जन्म भूमि अयोध्या त्रेता युग में राजा दशरथ की राजधानी थी। यहीं से मुनि विश्वामित्र श्रीराम व लक्ष्मण जी को यज्ञ रक्षा के लिए अपने साथ लेकर चले थे।
बड़े हर्ष का विषय है कि राम लला की जन्मभूमि को लेकर चल रहा विवाद अब समाप्त हो गया है । भारतवर्ष के उच्चतम न्यायालय ने अनेक वर्षों तक चली सुनवाई के बाद अंततः इस स्थान को राम लला की जन्मभूमि के रूप में स्वीकार किये जाने का आदेश दिया । उचित समय पर मंदिर निर्माण के लिये भारत सरकार द्वारा एक न्यास का गठन होगा । इस न्यास के द्वारा नये मंदिर का निर्माण होगा ।
यहाँ दिखाया जा रहा चित्र १९९२ के बाद अस्थायी टेंट रूपी ढांचें में विराजमान राम लला का है । हम संकल्प लें कि भव्य मंदिर निर्माण के लिये हम तन मन धन से सहयोग करेंगे ।
ग्रंथों में उल्लेख
वाल्मीकि रामायण 1/5, 6, पूरे अध्याय तथा अन्य अनेक विवरण हैं। श्रीरामचरितमानस 1/15/1,1/34/2, 3, 1/189/1 से 1/207/4, 2/0/1 से 2/187/1 तक तथा अन्य अनेक विवरण है।
1 श्री राम जन्म भूमिः अयोध्याजी- यह यात्रा का प्रथम स्थल है। यहां जाने के लिए रेल तथा बस दोनों साधन हैं। वायुमार्ग से निकटतम हवाई अड्डा लखनऊ, इलाहाबाद है। लेकिन स्थलों की दृष्टि से अयोध्याजी को केन्द्र बनाकर प्रथम यात्रा के क्रम सं.1, सरयूजी तथा क्रम सं. 2 यज्ञ स्थल आते हैं। द्वितीय यात्रा के क्रम सं.1 अयोध्याजी, श्रीराम जन्मभूमि, क्रम सं. 2 मणिपर्वत, 234 भादर्शा, 235 राम कुण्ड, 236 हनुमान भरत मिलन मंदिर, 237 भरतकुण्ड़, 238 जटा कुण्ड, 239 दशरथ समाधि, 240 विभीषण कुण्ड, 241 शत्रुघ्न कुण्ड, 242 राम कुण्ड, 243 सुग्रीव कुण्ड, 244 हनुमान कुण्ड, 245 सीता कुण्ड, 248 जनकौरा तथा 249 गुप्तार घाट आते हैं। इसमें क्रम सं. 2 यज्ञ स्थल, बस्ती जिले में है तथा शेष सभी फैजाबाद जिले में हैं।
यात्रा क्रम की दृष्टि से यात्री को स्थानीय सूत्रों से सम्पर्क कर अपनी सुविधा से यात्रा क्रम निश्चित करना चाहिये। हमारे अनुसारः सर्वप्रथम-सरयूजी में स्नान-श्रीराम मंदिर निर्माण की कार्यशाला – अयोध्या शोध संस्थान-हनुमान गढ़ी-बड़ा स्थान-श्रीराम जन्मभूमि-कनक भवन तथा यथासाध्य अन्य मंदिरों के दर्शन करें। ये सभी तीर्थ अयोध्याजी नगर में आते हैं।
तत्पश्चात् क्रम सं. 2 मखौड़ा-239 दशरथ समाधि-236 हनुमान भरत मिलन मंदिर, 237 भरत कुण्ड, 238 जटाकुण्ड, 248 जनकौरा तथा 249 गुप्तार घाट के दर्शन करें। तत्पश्चात 235 रामकुण्ड, 245 सीताकुण्ड, 240 विभीषण कुण्ड, 241 शत्रुघ्न कुण्ड, 242 रामकुण्ड, 243 सुग्रीव कुण्ड, 244 हनुमान कुण्ड आदि के दर्शन करें। इस प्रकार अयोध्या जी के निकटवर्ती सभी तीर्थों के दर्शन हो सकते हैं।
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