2-130 मल्लीकेश्वर मंदिर मल्कानगिरि ओडीशा
मल्लीकेश्वर मंदिर मल्कानगिरि माल्यवंत गिरि का अपभ्रंश है। उड़ीसा के आदिवासियों के अनुसार वास्तविक किष्किन्धा यहीं है। यहाँ श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा की थी।
Read moreमल्लीकेश्वर मंदिर मल्कानगिरि माल्यवंत गिरि का अपभ्रंश है। उड़ीसा के आदिवासियों के अनुसार वास्तविक किष्किन्धा यहीं है। यहाँ श्रीराम ने भगवान शिव की पूजा की थी।
Read moreरामारम चिटमिट्टीन में श्रीराम ने भू देवी (धरती माँ) की पूजा की थी। पास ही एक पहाड़ी पर श्रीराम के पदचिह्न बनें हैं।
Read moreकोंटा नगर से 8 कि.मी. उत्तर में शबरी नदी के किनारे इंजरम गाँव के पास कुछ वर्षों से एक शिव मंदिर भूमि से स्वतः उभर रहा है। यहाँ श्रीराम ने शिव पूजा की थी।
Read moreश्री राम मंदिर, मोटू कोंटा से 8 कि.मी. दक्षिण दिशा में है । मोटू के जंगल में श्रीराम, लक्ष्मणजी व सीताजी, शिवजी, गणेश जी, आदि देवों के विग्रह भूमि से उभर रहे हैं। यहाँ जनता चाह कर भी मंदिर नहीं बना पा रही। खुदाई आरम्भ करते ही लाल रंग के साँप निकलते हैं।
Read moreसलेरू संगम मोटू मोटू से 2 कि.मी. दूर सलेरू तथा शबरी नदी का पवित्र संगम है। माना जाता है कि श्री सीता जी ने यहाँ स्नान किया था। यहाँ तक श्रीराम शबरी नदी के किनारे-किनारे आए थे। संदर्भ पृष्ठ 63 स्थल संख्या 63 की पाद टिप्पणी देखंे। शबरी सलेरू संगम से सुन्दर सीताराम मंदिरः- कोंटा […]
Read moreतेलंगाना के कोनावरम में शबरी, गोदावरी नदी का पावन संगम स्थल है । – यहां तक श्रीराम मां शबरी के किनारे-किनारे आते हैं। यहां आकर वे शबरी तथा गोदावरी के पावन संगम में स्नान करते हैं । यह संगम विशाल क्षेत्र में फैला है तथा वर्षा काल में सम्पूर्ण क्षेत्र जलमग्न हो जाता है।
Read moreश्री सुन्दर सीता राम मंदिर कोंटा से 40 कि.मी. दूर शबरी तथा गोदावरी का पवित्र संगम है। पास ही लगभग 2 कि.मी. दूर श्री सुन्दर सीता राम स्वामी देव स्थानम है। यहाँ श्रीराम कुछ काल तक रहे हैं तथा यहां तक शबरी नदी के किनारे-किनारे आए थे। संदर्भ पृष्ठ 63 स्थल संख्या 63 की पाद टिप्पणी देखंे। […]
Read moreभद्राचलम से 35 कि.मी. पश्चिम दिशा में गोदावरी के किनारे पर्णशाला है। श्रीराम ने यहाँ कुछ दिन निवास किया था। संदर्भ पृष्ठ 63 स्थल संख्या 63 की पाद टिप्पणी देखंे। पर्णशाला से श्रीराम मंदिरः- पर्णशाला-देवरापल्ली-चेरला-वेंकट पुरम्-शंकराजुपल्ली-चिताला- इलेंन्दाकुण्टा। राष्ट्रीय राजमार्ग 163 व एस. एच.-12 से 215 कि.मी. 1
Read moreश्रीराम ने जिमीकंुटा, मंडल में इलेन्दा के फलों से दशरथ जी का श्राद्ध किया था। आज भी लोग नया कार्य आरम्भ करने तथा पूर्वजों का श्राद्ध करने यहाँ आते हैं। संदर्भ पृष्ठ 63 स्थल संख्या 63 की पाद टिप्पणी देखंे। श्रीराम मंदिर से स्कन्द आश्रमः- इलेन्दाकुण्टा-हजुराबाद-करीमनगर- निजामाबाद-नवीपेट-कन्दकूर्ती। एस. एच.-11 से 270 कि.मी.
Read moreनिजामाबाद से 30 किलोमीटर दूर गोदावरी माजरा तथा हल्दीहोल नदी का पवित्र संगम है । संगम तट पर माता पार्वती का मंदिर है । इसे स्कंद मंदिर भी कहा जाता है । वनवास अवधि में श्री राम यहां आये थे । श्रीराम वनवास से संबंधित सिंदूर गांव के जमींदार की कथा यहां प्रचलित है । […]
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