2-177 रामेश्वर सौताड़ा बीड़ महाराष्ट्र
लोक कथा के अनुसार श्रीराम यहाँ ऋषि पंडित आचार्य से मिलने आये थे। ऋषि संस्कृत विद्यालय चलाते थे। यहाँ श्रीराम ने शिव पूजा की थी इसीलिए मंदिर का नाम रामेश्वर है।
वा.रा. 3/69/1 से 9 मानस 3/32/2
रामेश्वर से रामकुण्डः- कंुथलगिरि- सौताड़ा-रामकुण्ड-वासी-भूम। 24 कि.मी.
नोट: सुविधा की दृष्टि से यात्री पहले कंुथल गिरि जायें तथा फिर रामकुण्ड जायें।
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